Hind Swaraj Ke Lekhak Kaun Hai
"हिन्द स्वराज" पुस्तक के लेखक महात्मा गांधी हैं। यह पुस्तक मूल रूप से गुजराती भाषा में लिखी गई थी और 1909 में प्रकाशित हुई थी। बाद में, गांधीजी ने स्वयं इसका अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया था। "हिन्द स्वराज" भारतीय स्वाधीनता आंदोलन की एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। इसमें गांधीजी ने स्वराज की अवधारणा को स्पष्ट किया है और भारतीयों को स्वदेशी आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया है।
"हिन्द स्वराज" में गांधीजी ने स्वराज को "स्वराज्य" या "स्व-शासन" के रूप में परिभाषित किया है। उन्होंने कहा है कि स्वराज का अर्थ है "अपने स्वयं के घर का शासन"। गांधीजी के अनुसार, स्वराज केवल तब प्राप्त किया जा सकता है जब भारतीय लोग अपने स्वयं के पैरों पर खड़े हो जाएं और अपनी ज़िम्मेदारियों को समझें।
"हिन्द स्वराज" में गांधीजी ने आधुनिक सभ्यता की आलोचना भी की है। उन्होंने कहा है कि आधुनिक सभ्यता हिंसा, स्वार्थ और भेदभाव पर आधारित है। गांधीजी का मानना था कि भारतीयों को आधुनिक सभ्यता के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए अपने पारंपरिक मूल्यों को बनाए रखना चाहिए।
"हिन्द स्वराज" भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के लिए एक प्रेरणा रही है। इस पुस्तक ने भारतीयों को स्वदेशी आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया और उन्हें स्वराज के लिए संघर्ष करने के लिए तैयार किया।